सुरजीत पातर की कविताएँ
कविताओं के अंत ने हमेशा मुझे मारा है — रवि यादव की कविताएँ
खोए सूरजमुखी का गीत — हर्ष राज कुमार की कविताएँ
अपने भीतर एक पाँव पर खड़ा हूँ — नीरज की कविताएँ
चिड़िया उदास है — जगतारजीत की कविताएँ
हम अर्थशास्त्र की भाषा में प्रेम कर रहे थे — गुंजन उपाध्याय पाठक की कविताएँ
एक-सी आग लगी है पूरी दुनिया में — ललन चतुर्वेदी की कविताएँ
इस कविता को एक अश्लील कविता ही रहने दीजिए — हरदीप सबरवाल की कविताएँ
जीवित रहने का सपना भी कैसे–कैसे दुःखों से बुना है — अमर दलपुरा की कविताएँ
ग़रीब दलित का रामचरितमानस — सुशांत सुप्रिय की कविताएँ
शोक का वज़न कितना होता है — शंकरानंद की कविताएं
उम्र की सीढ़ी चढ़ते हुए साथ छोड़ भाग निकलता है तरुण आदर्शवाद / देवांश एकांत की कविताएं
अपनों की राख में चिंगारियाँ भी नहीं है अब — संदीप नाइक की कविताएं
पैरों के भीतर रफ़्तार का हलाहल प्रविष्ट कर रहा है — आकांक्षा की कविताएँ
माँ ख़ुद भी सजावट थी ड्रॉइंग रुम में — ऋचा कश्यप की कविताएँ
मेरी सारी पक्षधरता जाली है — यशस्वी पाठक की कविताएं
मेरी सीधी बातें एक मध्यवर्गीय लड़के का अवसाद हैं / हिमांशु जमदग्नि की कविताएँ
हे ईश्वर, हमें अर्थपूर्ण संघर्ष दो / निशांत कौशिक की कविताएँ
चूमकर ही माँगूँगा माफ़ी — कुशाग्र अद्वैत की कविताएं
आत्मा के कोलतार से रास्ता बनाती कविता