तुमको लिखी सभी कविताओं में भर-भर के कहना चाहा है कि तुमसे बेहद प्यार करता हूँ पर कह नहीं पाता अटता ही नहीं कहीं भी तुम्हारे लिए मेरा प्रेम पँक्तियों में तो बिल्कुल नहीं!
सम्भव ही नहीं हो पाया किसी भी तरह, बन ही न पाए बिम्ब जो बता सकें चाहतों का कितना गहरा दरिया आंखों में लिए फिर रहा हूँ
तुम घबराना मत! दृश्य है जो, वो थोड़ा-सा है अदृश्य का आसमान बहुत बड़ा होता है कितना कुछ है जो देखा नहीं गया कितना कुछ है जो देखा नहीं जा सकता इसी न देखे जा सकने वाले शब्दों में न बाँधे जा सकने वाले अदृश्य एहसासों में से मेरा प्रेम है
पानी नहीं छोड़ा करते पेड़ों पर कोई निशाँ भीतर बैठे रहते हैं प्राण बनकर चुपचाप प्यार करने का एक तरीक़ा ये भी है।