विवेक शर्मा की कविता – कमजोर इंसान चिड़िया बन जाता है
- poemsindia
- Jun 29, 2021
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Updated: Apr 22, 2022
पढ़ें विवेक शर्मा की कविता ‘चिड़िया’ जो की हिंदी-दिवस २०२० के उपलक्ष्य में पोयम्स इंडिया और हिन्द-युग्म के द्वारा आयोजित की गयी लेखन प्रतियोगिता में से चुनी गयी सर्वश्रेष्ठ तीन कविताओं में से एक है |
मुंडेर पर अगर कोई चिड़िया आकर बैठ जाये और जोर जोर से बोले तो उसे भगाना मत उसे सुनना
क्या पता क्या बोल रही हो शायद बच्चों के लिए ले जाता हुआ भोजन उसकी चोंच से गिर गया हो या किसी बहेलिये ने उसका घोंसला तोड़ दिया हो ये भी हो सकता है कि किसी अज़गर ने उसके बच्चे खा लिये हों
चिड़िया अपने हक़ के लिए नहीं लड़ सकती केवल भाग सकती है या फिर ऐसे ही किसी अनजान मुंडेर पर किसी अनजान के सामने चीख़ सकती है
प्रकृति ने कमजोरों के चीखने को सिर्फ इसलिए मधुर बनाया है कि वो सुनी जायें। करुणा हमेशा मधुर होती है।
इंसान अकेला ऐसा जीव है जो अपने और अपनों के लिए लड़ सकता है। फिर भी सर्वाधिक त्रसित और ग्रसित है
कमजोर इंसान चिड़िया बन जाता है।
