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गैलेक्सी के छोर पर खड़े होकर तुम से प्रेम करने का कारण ढूंढना तारों की गिनती करने जैसा है

हर चीज़ जो हमारे सामने है एक लंबी यात्रा का परिणाम है यात्राएं मनुष्य को बदलती हैं बदलाव की यात्रा मनुष्य होने की यात्रा है अकेले की गई यात्रा भी अकेले नहीं होती अकेले होने का भ्रम हमेशा साथ रहता है अकेलापन खुद को खोज लेने की यात्रा है भ्रम एक सहचर है, जो हमें याद दिलाता है साथ चल लेने भर से कोई अपना नहीं होता भ्रम की यात्रा बोध की यात्रा है बुद्ध का बोध आत्मीयता का बोध है आत्मीयता बुद्ध होने की यात्रा है सड़कें बदली,साधन बदले,वाहन बदले नहीं बदली तो यात्राएं चेतना की गाड़ी जीवन की सड़क पर कर रही है यात्राएं

अगल-बगल लगे देवदार के वृक्ष अनुभव और अनुभूतियों के बीज से निकले हैं

स्मृतियां पुराने हो चुके साइन बोर्ड हैं कितने जन्मों की कितनी स्मृतियां हमें रास्ता दिखाती हैं हर उस रास्ते का पर्याय है जो चुना गया और बीच में ही छोड़ दिया गया जीवन अधूरे से अनंत की यात्रा है बदलता है मन, बदलते हैं विचार, बदलता है अहंकार बदलते हैं रूप, बदलते हैं स्वरूप बदलती है गंध, बदलता है स्पर्श बदलता है विश्वास,बदलता है इतिहास बदलते हैं मनुष्य और उनकी मनुष्यता पल प्रति पल, हर क्षण, नहीं बदलती तो बस यात्राएं पृथ्वी सौरमंडल की यात्रा पर है सूर्य आकाशगंगा की यात्रा पर है गैलेक्सी अनंत अंतरिक्ष की यात्रा पर है गैलेक्सी के छोर पर खड़े होकर तुम से प्रेम करने का कारण ढूंढना तारों की गिनती करने जैसा है तुमसे प्रेम ‘अकारण’ की यात्रा है सबको अपना बनाने की यात्रा ही कवि होने की यात्रा है, यात्राओं ने मुझे कवि बनाया मैं यात्राओं का आभारी हूं

<a href="https://poemsindia.in/poet/abhay-bhadoriya/" data-type="post_tag" data-id="720417954">अभय भदौरिया</a>
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